भारत, रूस और बांग्लादेश ने रूपपुर परमाणु संयंत्र के लिए समझौते पर किये हस्ताक्षर
भारत, बांग्लादेश और रूस ने बांग्लादेश में ढाका के समीप रूपपुर परमाणु संयंत्र के निर्माण के लिए त्रिपक्षीय समझौता प्रपत्र पर हस्ताक्षर किये. भारत-रूस परमाणु समझौता के तहत परमाणु उर्जा को तीसरे विश्व के देशो तक पहुचाने के क्रम में ये अपनी तरह का पहला कदम है. ये भारत का विदेश में पहला परमाणु उद्यम भी होगा.
रूपपुर परमाणु उर्जा संयंत्र
रूपुर परमाणु उर्जा संयंत्र की क्षमता २*१२०० मेगा वाट की है. ये बांग्लादेश का पहला परमाणु उर्जा संयंत्र है. ये रूस के सहयोग से ढाका के निकट ही बनाया जा रहा है. इस संयंत्र की स्थापना के बाद बांग्लादेश, भारत और पाकिस्तान के बाद परमाणु उर्जा का प्रयोग करने वाला दक्षिण एशिया का तीसरा देश बन जायेगा. रूस इस संयंत्र को ‘टर्नकी’ आधार पर निर्मित करेगा. इसका निहितार्थ ये है की अनुबंधक ही प्रोजेक्ट को पूरा करेगा और अगर संयंत्र में कोई समस्या उत्पन्न होती है तो उसके लिए भी अनुबंधक ही जिम्मेदार होगा. रूस का कार्य निष्पादन डिज़ाइन, उत्पादन और मशीनों की आपूर्ति, निर्माण कार्य, और संयंत्र को चालू अवस्था में पहुंचाने तक होगा.
भारत चूंकि ‘परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह’ का हस्ताक्षरकर्ता देश नहीं है इसलिए वह परमाणु उर्जा रिएक्टर के निर्माण में सीधे तौर पर भाग नहीं लेगा. लेकिन भारतीय कंपनियां निर्माण, इंस्टालेशन, और अप्रतक्ष उपकरणों की आपूर्ति में हिस्सेदार होंगी.
पृष्ठभूमि
दिसंबर २०१४ में भारत और रूस ने ‘परमाणु उर्जा के शांतिपूर्ण प्रयोग में बढ़ते सहयोग के लिए सामरिक दृष्टि’ नामक समझौते को कलमबद्ध किया. जिससे भारतीय कंपनियों को अपने उपकरण और सर्विस रूस द्वारा तृतीय विश्व के देशो में डिज़ाइन किये गए संयंत्रों को प्रदान करने का अवसर उपलब्ध हो सके. इसके अलावा भारत ने बांग्लादेश के साथ अप्रैल २०१७ में दो अन्य समझौतों के साथ एक नागरिक परमाणु सहयोग समझौता पर भी हस्ताक्षर किया हैं जिसके तहत दोनों देश परमाणु उर्जा संयंत्र के लिए उपकरणों की आपूर्ति और और निर्माण कर सकते हैं.
टिप्पणी
बांग्लादेश के साथ परमाणु समझौता भारतीय परमाणु प्रस्थिति को और बढ़त हासिल करने का मौका प्रदान करती है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत बहुत बढ़त हासिल करने में सफल नहीं रहा है क्योंकि १९७४ में पोखरण परीक्षणों के बाद भारत को कड़े प्रतिबंधो का सामना करना पड़ा था. खैर अब तक यह साफ़ नहीं हो सका है की भारत और बांग्लादेश असल में किस तरह के परमाणु सहयोग को आगे बढ़ाएंगे क्योकि दोनों ही देश ‘परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह’ (NSG) के सदस्य नहीं हैं. (NSG, 48 देशों का एक प्रतिष्ठित समूह है जो परमाणु उर्जा के प्रसार को सीमित और नियंत्रित करता है तथा इसके लिए ऐसे सामान, उपकरण, और तकनीक जो परमाणु हथियार बनाने में सहायक हो सकते हैं, के निर्यात को नियंत्रित करता है.)
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