पूरक अर्थव्यवस्थाएं: भारत- वियतनाम

महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने ३ मार्च २०१८ को राष्ट्रपति भवन में वियतनाम के राष्ट्रपति श्रीमान ट्रान डाइ कुआंग की की मेजबानी की.  उनका स्वागत करते हुए राष्ट्रपति जी ने कहा की वियतनाम ने २०१८ में हुए आसिआन शिखर सम्मलेन के सुघड़ परिणाम सुनिश्चित करने में एक समन्वयक देश की भूमिका निभाई, जिसके लिए भारत उनका आभार प्रकट करता है.

भारत- वियतनाम संबंधों के इतिहास और महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए महामहिम ने कहा की दोनों सभ्यताओं के बीच २००० साल पुराना सम्बन्ध है. बौद्ध धर्म, हिन्दू चंपा सभ्यता और हमारे प्राचीन साझा दर्शन ने हमारे सामान रिश्तों को और सुदृढ़ बनाया है. इस बीच दोनों देशो के द्विपक्षीय व्यापर की चर्चा करते हुए उन्होंने स्मरण दिलाया की २०२० तक दोनों देशो के मध्य १५ बिलियन डॉलर का व्यापार होगा.

इस यात्रा के दौरान वियतनाम और भारत के बीच चार सहमति ज्ञापनों (MoU) पर हस्ताक्षर किये गए:
१. आर्थिक और व्यापर सहयोग पर एम्ओयू
-एमओयू का उद्वेश्य आर्थिक एवं व्यापार संवर्द्धन को बढ़ावा देने के लिए एक संरचना स्थापित करना है.

२. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअप) एव वियतनाम के कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय के बीच वर्ष 2018-2022 के लिए कार्य योजना

-इस कार्य योजना का उद्वेश्य कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में सहयोग एवं तकनीकी विशेषज्ञों की यात्राओं के आदान प्रदान को बढ़ावा देना है.

३. वैश्विक परमाणु ऊर्जा साझीदारी केंद्र (जीसीएनईपी) एवं वियतनाम ऑटोमिक एनर्जी इंस्टीच्यूट के बीच सहयोग (विनाटोम) पर एमओयू

-इस कार्य योजना का उद्वेश्य शांतिपूर्ण उद्वेश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग को सुदृढ़ बनाना है।

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