नीति आयोग ने इसरो के सहयोग से विकसित भारत का भू-स्थानिक ऊर्जा मानचित्र लॉन्च किया
नीति आयोग ने हाल ही में, इसरो के सहयोग से विकसित भारत का भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) आधारित ऊर्जा मानचित्र लॉन्च किया है।
मुख्य बिंदु
यह GIS ऊर्जा मानचित्र देश के सभी ऊर्जा संसाधनों की एक समग्र तस्वीर प्रदान करता है जो पारंपरिक बिजली संयंत्रों, तेल और गैस कुओं, पेट्रोलियम रिफाइनरियों, कोयला क्षेत्रों और कोयला ब्लॉकों जैसे ऊर्जा प्रतिष्ठानों के दृश्य को सक्षम बनाता है।
यह मानचित्र किसी देश में ऊर्जा उत्पादन और वितरण का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करने के लिए ऊर्जा के सभी प्राथमिक और माध्यमिक स्रोतों और उनके परिवहन / संचरण नेटवर्क की पहचान करने और उनका पता लगाने का प्रयास करता है।
यह एक अनूठा प्रयास है जिसका उद्देश्य कई संगठनों में बिखरे हुए ऊर्जा डेटा को एकीकृत करना और इसे समेकित, आकर्षक ग्राफिकल तरीके से प्रस्तुत करना है। यह वेब-GIS प्रौद्योगिकी और ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर में नवीनतम प्रगति का लाभ उठाता है ताकि इसे इंटरैक्टिव और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाया जा सके।
भारत का भू-स्थानिक ऊर्जा मानचित्र योजना बनाने और निवेश संबंधी निर्णय लेने में उपयोगी होगा। यह उपलब्ध ऊर्जा परिसंपत्तियों का उपयोग करके आपदा प्रबंधन में भी सहायता करेगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
इसकी स्थापना 1969 में की गई। 1972 में भारत सरकार द्वारा ‘अंतरिक्ष आयोग’ और ‘अंतरिक्ष विभाग’ के गठन से अंतरिक्ष शोध गतिविधियों को अतिरिक्त गति प्राप्त हुई। ‘इसरो’ को अंतरिक्ष विभाग के नियंत्रण में रखा गया। 70 का दशक भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास में प्रयोगात्मक युग था जिस दौरान ‘भास्कर’, ‘रोहिणी”आर्यभट’, तथा ‘एप्पल’ जैसे प्रयोगात्मक उपग्रह कार्यक्रम चलाए गए।
80 का दशक संचालनात्मक युग बना जबकि ‘इन्सेट’ तथा ‘आईआरएस’ जैसे उपग्रह कार्यक्रम शुरू हुए। आज इन्सेट तथा आईआरएस इसरो के प्रमुख कार्यक्रम हैं। अंतरिक्ष यान के स्वदेश में ही प्रक्षेपण के लिए भारत का मज़बूत प्रक्षेपण यान कार्यक्रम है। इसरो की व्यावसायिक शाखा एंट्रिक्स, विश्व भर में भारतीय अंतरिक्ष सेवाओं का विपणन करती है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की ख़ास विशेषता अंतरिक्ष में जाने वाले अन्य देशों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और विकासशील देशों के साथ प्रभावी सहयोग है।
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